फकत मुकद्दर पर जिन्दा रहना ,
निकम्मापन और बुझदिली है !
अमन की दुनियां मै मेहनत करके ,
अपना हिस्सा वसूल करलो तुम !
उजड़ जायेगा चमन ये बाक़ी ,
गर और कांटें न हटाओगे तुम !
गुलिस्तान की गरचे खेर चाहो ,
तो चंद कांटें कबूल करलो तुम !
बहस से बड़ी कोई बहस नहीं है , धरम से बड़ी कुच्छ की जागीर नहीं है ! ये दुनिया वालो की बनाई हुई हस्ती है , इस पर कोई बहस मुमकिन ही नहीं है ! क्युकी,धरम से बड़ी कोई ज़ंजीर नहीं है !
ये जिंदगी तेरे अंदाज़ से वाकिफ थे हम मगर !
तेरी दुनियां के रंगीन सपनों से बेखबर नहीं थे हम !!
पर क्या करे जो हमसे निभाया न गया ये सब !
पर कोशिश तो हमने भी जी जान से ही की थी !!
कहते हैं हर चीज़ मिल जाती है दुआ से !
इक रोज़ तुझे मांग के देखेंगे खुदा से !!
उसकी दुआ मै न जाने कितना असर होगा !
ये भी जरा आज अजमा के देखेंगे खुदा से !!
यकीं है उसकी दुआ कभी बेअसर न जाएगी !
पर उसपे यकीं तो कम से कम हो ही जायेगा !!
भरोसा टूट जाने पर बहुत तकलीफ होती है !
पहले ही संभल जाएँ तो तकलीफ कम होगी !!