एक नज़र इधर भी
गुरुवार, 30 सितंबर 2010
जिद
कोई केफियत --------ही ----------- नहीं !
की अपने को अपनी जिद जो बना ना दे !
की वो गम ही क्या जो हंसा न दे !
वो ख़ुशी भी क्या जो रुला ना दे !
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