एक नज़र इधर भी
शुक्रवार, 24 सितंबर 2010
धरम
बहस से बड़ी कोई बहस नहीं है ,
धरम से बड़ी कुच्छ की जागीर नहीं है !
ये दुनिया वालो की बनाई हुई हस्ती है ,
इस पर कोई बहस मुमकिन ही नहीं है !
क्युकी,धरम से बड़ी कोई ज़ंजीर नहीं है !
नई पोस्ट
पुराने पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
संदेश (Atom)