शुक्रवार, 21 जनवरी 2011

मन की बात


                            
दुनिया की नजर मै आये !    
                  कितने भेद हमारे मन  के !
तुम भी चुप और हम  भी चुप !
                   खोले कोन किवारे मन के !

सोमवार, 17 जनवरी 2011

वो हूँ मैं



हथेली सामने रखना
के सब आंसू गिरे उसमे
जो ठहर जाये
तो समझ  जाना के 
    " वो हूँ  मैं  "
कभी जो चाँद  को देखो
तो तुम यु मुस्कुरा देना
जो चल जाये हवा ठंडी
तो ऑंखें बंद कर लेना
जो झोंका तेज़ हो सबसे
तो समझ लेना के
      " वो हूँ मैं "
जो ज्यादा " याद " आऊं मैं
तो तुम रो लेना जी भरके
अगर हिचकी कोई आये
तो समझ जाना के
   " वो हूँ मैं "

रविवार, 16 जनवरी 2011

इश्क

53329296, George Marks /Hulton Archive

चमन अच्छा नहीं लगता , कली देखि नहीं जाती !
               गुलों के दरम्याँ तेरी कमी देखि नहीं जाती !
इलाही उनके हिस्से  के भी गम  मुझको अदा कर दे !
              कि उन मासूम आँखों मै नमी देखि नहीं जाती !