मंगलवार, 4 जनवरी 2011

इंतजार


मुहब्बत मै ये क्या मकाम आ रहेँ हैं ,
के मंजिल पे हैं और चले जा रहेँ हैं !
ये कह - कह के हम दिल को समझा रहेँ हैं ,
वो अब चलें   हैं ........ वो अब आ रहेँ हैं !

6 टिप्‍पणियां:

रविंद्र "रवी" ने कहा…

सुन्दर रचना!

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

kya kahne:)

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

sundar rachna

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

वर्तनी में कुछ संशोधन की गुंजाइश है.

Minakshi Pant ने कहा…

aap sabka bahut bahut dhanyvad dost

Pradeep ने कहा…

मिनाक्षी जी....प्रणाम !
"के मंजिल पे हैं और चले जा रहेँ हैं"
वाह.....क्या खूब कहा है...