कदम चूम लेती है आके मंजिल उसकी ,
अगर राही खुद अपनी हिम्मत न हारे !
हार मानता नहीं जो अपनी मंजिल से ,
मंजिले खुद राह बनती जाती हैं !
जिंदगी का सफ़र बहुत ही लम्बा है ,
कोई हर दम न साथ चलता है !
राही बनके राहों को पता बताते चलो !
अपनी मंजिल को खोजो और आजमाते चलो !
9 टिप्पणियां:
कदम चूम लेती है आके मंजिल उसकी ,
अगर राही खुद अपनी हिम्मत न हारे !
बहुत सही है ..
कहते हैं
‘मन के हारे हार है, मन के जीते जीत’
हिम्मते मर्दां मददे खुदा . सुन्दर रचना .
bahut bahut shukriya dost .
सुन्दर भावाभिव्यक्ति , बधाई ।
पूर्णतः सहमत. मेरी जिंदगी को भी कहीं छुती हैं ये पंक्तियाँ.
बेहतरीन एवं प्रशंसनीय प्रस्तुति ।
हिन्दी को ऐसे ही सृजन की उम्मीद ।
धन्यवाद....
satguru-satykikhoj.blogspot.com
कदम चूम लेती है आके मंजिल उसकी ,
अगर राही खुद अपनी हिम्मत न हारे !
हार मानता नहीं जो अपनी मंजिल से ,
मंजिले खुद राह बनती जाती हैं !
जिंदगी का सफ़र बहुत ही लम्बा है ,
कोई हर दम न साथ चलता है !
राही बनके राहों को पता बताते चलो !
अपनी मंजिल को खोजो और आजमाते चलो !
बेहतरीन और उत्साहवर्धक कविता ...........
होंसला अफजाई के लिए आप सबका शुक्रिया दोस्त !
कविता में व्यक्त आपके निष्कर्षों से पूर्ण सहमती है.
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