तन्हाइयों में दर्द दस्तक देता है .... किसी से कुछ भी न कहकर ... अंदर ही अंदर सुलगता है .... कोई आह जब भीतर करवट लेती है ..... तो सारे आलम को ये गमगीन करती है .... ये बेजुबान दर्द ही जीने का सबब बनता है ..... तभी शायद ये हमारे इतने करीब रहता है | :)
मिनाक्षी जी प्रणाम ! ख़ुशी तो पल दो पल की होती है ...पर कुछ दर्द तो जिंदगी भर साथ रहते है ...जीने का सबब बन जाते हैं... मकर सक्रांति पर्व की अग्रिम शुभकामनाएं ... प्रदीप
8 टिप्पणियां:
खूबसूरत
बहुत गहरे भाव लिए सुन्दर अभिव्यक्ति| धन्यवाद|
bahot sunder.....
मिनाक्षी जी प्रणाम !
ख़ुशी तो पल दो पल की होती है ...पर कुछ दर्द तो जिंदगी भर साथ रहते है ...जीने का सबब बन जाते हैं...
मकर सक्रांति पर्व की अग्रिम शुभकामनाएं ... प्रदीप
कुछ ही पंक्तियों में गहरी बात कहीं आप ने ,बधाई.....पहली बार आप के ब्लॉग पर आना हुआ,उम्मीद है आना जाना लगा रहेगा...... :)
तभी तो इसे दर्द कहते हैं,
हर एक का अपना है,
हर एक के करीब,
जादूगर भी है यह
अपना तो सबको दीखता है
औरों का रहता है आँखों से ओझल ..........
वाह ! बड़ी गंभीर बात कितनी सरलता से कही है |बधाई |
हमें तो दर्द का साथ अच्छा लगता है |
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