जीवन परिचय ____ महादेवी जी का जन्म फरुर्खाबाद में सन 1907 ईस्वी में हुआ था | इनके पिता श्री गोविन्द प्रसाद वर्मा इंदौर के एक कालेज में प्रोफ़ेसर थे | महादेवी जी की प्रारंभिक शिक्षा का श्री गणेश यहीं से हुआ था | इनकी माता हेमरानी एक भक्त एवं विदुषी महिला थी | इनकी भक्ति भावना का प्रभाव महादेवी वर्मा पर भी पड़ा | छटी कक्षा तक शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् 1920 ईस्वी में प्रयाग में मिडिल पास किया | इसके चार साल बाद हाई स्कुल और 1926 ईस्वी में दर्शन विषय लेकर इन्होने एम. ए. की परीक्षा पास की एम . ए पास करने के पश्चात् महादेवी वर्मा जी ' प्रयाग महिला विद्या पीठ ' में प्रधानाचार्य के पद पर नियुक्त हुई और मृत्युपर्यंत इसी पद पर कार्य करती रहीं | अपनी साहित्यिक एवं सामाजिक सेवाओं के कारण ये उत्तर प्रदेश विधान परिषद की सदस्या भी मनोनीत की गई | 11 सितम्बर 1987 ईस्वी को इलाहाबाद में इनका देहांत हुआ |
रचनाएँ __ महादेवी जी प्रसिद्धि विशेषत: कवित्री के रूप में हैं परन्तु ये मौलिक गद्यकार भी हैं | इन्होनें बड़ा चिन्तन पूर्ण , परिष्कृत गद्य लिखा हैं | महादेवी जी की प्रमुख काव्य कृतियाँ हैं :
निहार , रश्मि , नीरजा , सांध्य गीत और दीपशिखा |
यामा पर इन्हें ' भारतीय ज्ञानपीठ ' पुरस्कार प्राप्त हुआ था |
प्रमुख गद्य रचनाएँ __ ( 1 ) पथ के साथी , ( 2 ) अतीत के चलचित्र , ( 3 ) स्मृति की रेखाएं , ( 4 ) श्रृंखला की कड़ियाँ |
साहित्यिक विशेषताएं ___ महादेवी वर्मा की काव्य - रचना के पीछे एक ओर स्वाधीनता आन्दोलन की प्रेरणा है , तो दूसरी ओर भारतीय समाज में स्त्री जीवन की वास्तविक स्थिति का बोध भी है | यही कारण है की उनके काव्य में जागरण की चेतना के साथ स्वतंत्रता की कामना की अभिव्यक्ति है और दुःख की अनुभूति के साथ करुणा के बोध की भी | दुसरे छायावादी कवियों की तरह महादेवी वर्मा के गीतों में भी प्रक्रति सोंदर्य के अनेक प्रकार के अनुभवों की व्यंजना हुई है महादेवी वर्मा के गीतों में भक्तिकाल के गीतों की प्रतिध्वनी है और लोक गीतों की अनुगूँज भी , लेकिन इन दोनों के साथ ही उनके गीतों में आधुनिक बौद्धिक मानव के द्वंदों की अभिव्यक्ति ही प्रमुख है |
विषय की दृष्टि से महादेवी जी की रचनाओं को दो भागों में बांटा जा सकता है __ ( 1 ) विचारात्मक एवं विवेचना प्रधान , ( 2 ) पीड़ा , क्रंदन , अंतसंघर्ष , सहानुभूति एवं संवेदना प्रधान | ' श्रृंखला की कड़ियाँ ' तथा ' महादेवी का विवेचनात्मक गद्य ' इनकी विवेचना प्रधान रचनाएँ हैं | कहना न होगा की महादेवी जी के घरेलू जीवन में दुख ही दुख था | इन्हीं दुख क्लेश और आभाओं की काली छाया ने इनके साहित्य में करुणा , क्रंदन एवं संवेदना को भर दिया | वही भावनाएं गद्य में भी साकार रूप से मिलती है | जहां तक विवेचनात्मक गद्य का सम्बन्ध है , वह इनके विचारपूर्ण क्षणों की देन है यहाँ इन्होंनें लिखा है __ " विचार के क्षणों में मुझे गद्य लिखना अधिक अच्छा लगता है | अपनी अनुभूति ही नहीं , बाहय परिस्थितियों के विश्लेषण के लिए भी पर्याप्त अवकाश रहता है | "
काव्यगत विशेषताएं ___ महादेवी वर्मा को आधुनिक युग की मीरा कहा जाता है उनके काव्य में रहस्यानुभूति का रमणीय प्रतिफलन हुआ है | महादेवी के प्रणय का आलंबन अलौकिक प्रियतम है | वह सगुण होते हुए भी साकार नहीं है | वह कहती हैं _____
" मुस्कुराता संकेत भरा नभ ,
अलि क्या प्रिय आने वाले हैं ? "
कवित्री का अज्ञात प्रियतम इतना आकर्षक है की मन उससे मिलने को आतुर हो जाता है | निम्नांकित में ललकती कामना का प्रभावशाली प्रकाशन हुआ है ___
कवयित्री के स्वप्न का मूक - मिलन भी इतना मादक और मधुर था कि जागृतावस्था में भी वह रोमांचित होती रही हैं ______
" कैसे कहती हो सपना है
अलि ! उस मूक मिलन कि बात
भरे हुए अब तक फूलों में
मेरे आंसूं उनके हास | "
महादेवी वर्मा ने अपने जीवन को ' विरह का जलजात ' कहा है | ____
काव्यगत विशेषताएं ___ महादेवी वर्मा को आधुनिक युग की मीरा कहा जाता है उनके काव्य में रहस्यानुभूति का रमणीय प्रतिफलन हुआ है | महादेवी के प्रणय का आलंबन अलौकिक प्रियतम है | वह सगुण होते हुए भी साकार नहीं है | वह कहती हैं _____
" मुस्कुराता संकेत भरा नभ ,
अलि क्या प्रिय आने वाले हैं ? "
कवित्री का अज्ञात प्रियतम इतना आकर्षक है की मन उससे मिलने को आतुर हो जाता है | निम्नांकित में ललकती कामना का प्रभावशाली प्रकाशन हुआ है ___
" तुम्हें बांध पाती सपने में |
तो चिर जीवन - प्यास बुझा
लेती उस छोटे क्षण अपने में |"कवयित्री के स्वप्न का मूक - मिलन भी इतना मादक और मधुर था कि जागृतावस्था में भी वह रोमांचित होती रही हैं ______
" कैसे कहती हो सपना है
अलि ! उस मूक मिलन कि बात
भरे हुए अब तक फूलों में
मेरे आंसूं उनके हास | "
महादेवी वर्मा ने अपने जीवन को ' विरह का जलजात ' कहा है | ____
विरह का जलजात जीवन , विरह का जलजात |
विरह की साधना में अपने स्वयं को जलाने की बात कहती हैं ___
' मधुर - मधुर मेरे दीपक जल ,
प्रीतम का पथ आलोकित कर | '
' मैं नीर भरी दुःख की बदली | '
भाषा - शैली ____ महादेवी जी की भाषा , स्वच्छ , मधुर , संस्कृत के तत्सम शब्दों से युक्त परिमार्जित कड़ी बोली हैं | शब्द चयन उपयुक्त तथा वाक्यविन्यास मधुर तथा सार्थक हैं | महादेवी जी का तीक्ष्ण व्यंग हृदय में व्याकुलता उत्पन्न कर देने वाला है मुहावरों और लोकोक्तियों के प्रयोग ने भाषा के सोंदर्य को और भी बड़ा दिया है | भाषा में सर्वत्र कविता की सी सरसता और तन्मयता है | महादेवी के गीत अपने विशिष्ट रचाव और संगीतात्मकता के कारन अत्यंत आकर्षक हैं | उनमें चित्रमयता और बिंबधर्मिता का चित्रण है | महादेवी जी ने नए बिम्बों और प्रतीकों के माध्यम से प्रगति की अभिव्यक्ति - शक्ति का न्य विकास किया है | उनकी काव्य - भाषा प्राय तत्सम शब्दों से निर्मित है |
11 टिप्पणियां:
nazar ko rahat mili ....
आधुनिक युग की मीरा - इस उपमा में तनिक भी अतिशयोक्ति नहीं है.महादेवी हमारे देश का गौरव हैं और अपनी कृतियों में सदा अमर रहेंगी.श्रेष्ठ प्रस्तुति हेतु बधाई.
• महादेवी जी छायावाद की प्रतिनिधि रचनाकार हैं। इनकी कविताओं में वेदना का स्वर प्रधान है। इनकी कविताओं में भाव, संगीत तथा चित्र का अपूर्व संयोग है। उनकी गद्य रचनाओं में चिन्तन की सृजनशीलता स्पष्ट दिखाई देती है। ऐसा कहीं नहीं दिखता कि कविता कुछ दूसरी बात कहती हो और गद्य दूसरी दिशा में प्रवर्तित हुआ हो। गद्य में उनकी वैचारिक दृष्टि स्पष्ट रूप से सामने आती है। उनके गद्य में क्रान्ति और आक्रमण के बीज भी मिलते हैं जो निराला में स्पष्ट मुखर हुआ। नारी होने के कारण उन्हें सामान्यतया कोमलता और वेदना का प्रतीक माना जाता है। परन्तु इनके गद्य साहित्य को देखने से पता चलता है कि इसमें कोमलता और कठोरता का अद्भुत सन्तुलन है।
नमन इस महान हस्ती को ।
आधुनिक युग की मीरा के बारे में विस्तृत और अच्छी जानकारी के लिए आभार।
महान हस्ती को नमन
मिनाक्षी जी ,
आपने महादेवी जी कि चर्चा करके बहुत ही अनुग्रहित किया . वो मेरे मनपसंद कवियित्रियो में से एक है . उनकी भाषा कि बनवात अनायास ही मन को बाँध लेती है .
धन्यवाद.
बधाई !!
आभार
विजय
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कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
महादेवी जी की रचनाएं जो कभी कोर्स में पढ़ी थीं आज तक याद हैं ... ये उनकी रचनाओं का कमाल ही है ...
मीनाक्षी जी,
पढाई के दौरान का समय याद आ गया। महादेवी की कविताओं को समझना उस समय कठिन लगता था,लेकिन आज जब समझ में आती हैं उनकी कविताएं, तो वो टीचर भी याद आते हैं, जो कई बार तो महादेवी की रचनाओं को समझाते हुए उनकी आंखों में आँसू आ जाते थे।
संकलन योग्य पोस्ट
आभार
Minakshi ji आपको अग्रिम हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. हमारी "मातृ भाषा" का दिन है तो आज से हम संकल्प करें की हम हमेशा इसकी मान रखेंगें...
आप भी मेरे ब्लाग पर आये और मुझे अपने ब्लागर साथी बनने का मौका दे मुझे ज्वाइन करके या फालो करके आप निचे लिंक में क्लिक करके मेरे ब्लाग्स में पहुच जायेंगे जरुर आये और मेरे रचना पर अपने स्नेह जरुर दर्शाए..
MADHUR VAANI कृपया यहाँ चटका लगाये
BINDAAS_BAATEN कृपया यहाँ चटका लगाये
MITRA-MADHUR कृपया यहाँ चटका लगाये
बहुत ही सुन्दर ! महादेवी जी की याद आ गयी ! स्कुल के ज़माने में इनकी रचनाये पढ़ते रहते थे ! बधाई !
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