रविवार, 1 मई 2011

दुस्साहसी लेखिका लिलियन हेलमैन

  लिलियन हेलमैन का जन्म 20 जून 1905 को अमेरिका में मध्यवर्गीय यहूदी परिवार में हुआ था | उसके पिता मैक्स मार्क्स अमेरिका गृहयुद्ध के दिनों में जर्मनी छोड़कर अमेरिका आ गये थे | मैक्स की बहनें एक मोटेल चलाती थी | लिलियन का जन्म भी यहीं हुआ |लिलियन अपने अभिभावकों की अकेली संतान थी | लिलियन शुरू से काफी बातूनी थी | उनकी माँ हलांकि एक संभ्रांत परिवार की थी , मगर लिलियन के लिए उनके पिता ही उनके हीरो थे | मोटेल में आकर ठहरने वाले यात्रियों के बारे में मनघडंत किस्सों का ब्यौरा देना लिलियन की आदत बन चुकी थी | हेलमैन के प्रारंभिक जीवन की कहानी विलिम राइट ने लिखी है | 19 वर्ष की आयु में उन्हें पहली नौकरी बोनी एंड लिवराइट नामक न्यूयार्क के प्रसिद्ध प्रकाशन संस्थान में मिली | लिलियन का कहना है कि विलियम फाकनर कि प्रतिभा को सबसे पहले उन्होंने ही पहचाना और इस तरह फाकनर के प्रसिद्ध व्यंग उपन्यास ' मस्किटोज़ ' का प्रकाशन संभव हुआ | इसी दौर में वह गर्भवती हुई और गर्भपात के बाद उन्होंने नाट्य अभिनेता आर्थर कोबर से विवाह कर प्रकाशन संस्थान से त्यागपत्र दे दिया | अब वो घर बैठकर समीक्षाएं लिखने लगी | इसी अवधि में उन्हें ' लाइफ ' पत्रिका के संपादक डेविड कोड से प्रेम हो गया | इसके बाद वे अपने पति कोबर के साथ 1939 में पेरिस और वान कि यात्रा करने निकली | यात्रा से लौटकर लिलियन ने हालीवुड कि फिल्मों के लिए पटकथा लिखने का सिलसिला शुरू किया | मेट्रो गोल्डविन मेयर नामक हालीवुड के चित्रपट संस्थान ने उन्हें 50 डालर साप्ताहिक पगार देना मंजूर किया | यहाँ उन्होंने कैमरे  के पीछे काम करने वालों के  दल के साथ हड़तालें भी करवाई | यहीं उनकी मुलाकात रहस्य कथा लेखक डेशियल हैमेट से हुई | हैमेट भयंकर शराबी था | उसकी लिखी रहस्य कथाओं से उसे अकूत धन प्राप्त हो चूका था | परिणामतः वह काफी प्रमादी हो चूका था | उसकी प्रसिद्ध  कृति ' द टिन मैन ' का प्रकाशन 1934 में हुआ | हेलमैन ने हैमेट कि कहानी बड़े रोचक ढंग से लिखी है | लिलियन ने स्वीकार है कि उसके सम्बन्ध हैमेट से भी थे इसे भी एक विचित्र संयोग ही माना जाना चाहिए कि लिलियन से मिलने के बाद हैमेट का लेखन लगभग बंद हो गया और लिलियन कि लोकप्रियता बढने लगी | ऐसा लगने लगा कि जैसे  हैमेट कि प्रतिभा ने परकाया परवेश कर लिलियन को सफलता के उच्च शिखर पर पहुचाने कि ठान ली हो | उसकी कृति ' द चिल्ड्रेन्स आवर' कि सफलता से झल्लाकर एक समीक्षक ने तो यहाँ तक कह दिया कि उसकी पटकथा कहीं और से ली गई है | ' द चिल्ड्रन आवर ' के आसपास उठ खड़े हुए विवाद का परिणाम यह हुआ कि लार्ड चेंबरलेन ने लन्दन में इसके प्रदर्शन पर रोक लगा दी | यही नहीं स्वयं  अमेरिका के शिकागो और बोस्टन आदि शहरों में भी इसका प्रदर्शन नहीं हो सका | न्यूयार्क  में अवश्य इसने बॉक्स आफिस कि ऊँचाइयों को छुआ | सभी प्रगतिशील बौद्धिकों ने इसकी सराहना की | हलांकि 1934 - 1935 का पुलित्ज़र परुस्कार इसे तभी भी नहीं मिला | लिलियन की अगली नाटय कृति  ' डेज़ टू कम ' जिसकी थीम हड़तालों पर आधारित थी , उतनी सफल नहीं हुई | लिलियन की अपनी कृति ' द लिटिल फोक्सेज़ ' ( 1939 ) का घटनाचक्र धन , मुनाफाखोरी और लोभ की कहानी कहता है | इस कृति को लिखने की प्रेरणा लिलियन को उन पात्रों से मिली जो बचपन में उसके मोटेल अथवा बोर्डिंग हॉउस में आकर ठहरते थे , जिसे उसके पिता की बहनें चलाया करती थी | ये सभी पात्र न्यूयार्क आते ही इसलिए थे की किस तरह अधिक से अधिक धन कमाया जाए | ' द लिटिल फोक्सेज ' की लगभग सभी समीक्षकों ने सराहना की है | इसकी सफलता का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है की इसका मंचन लगातार 410 दिन  तक होता रहा और उसे लिलियन की सर्वाधिक सफल कृति माना गया | दो वर्ष बाद लिलियन हेलमैन  की अगली नाट्यकृति ' वाच ऑन द राइन ' आई | इसका नायक एक वामपंथी युवा है , जो नात्सियों से संघर्ष करता है और अंत में खलनायक को मार डालने में सफल होता है | एक वर्ष बाद सैम गोडविन जिसके कहने पर लिलियन ने ' द चिल्ड्रेन्स  आवर ' , ' डेज तो कम ' और ' वाच ऑन द राइन ' लिखे थे | लिलियन के पास ये प्रस्ताव लेकर आया कि लिलियन इन तीनों नाट्यकृतियों में से समलैंगिकता वाला अंश घटाकर इन्हें फिर लिखा जाए , जबकि ये तीनों कृतियाँ अब तक क्लासिक कि श्रेणियों में रखी जाने लगी थी | लिलियन शायद इसके लिए राज़ी नहीं हुई | लिलियन कि विचारधारा वामपंथी थी | उसकी कृतियों और पटकथाओं में लगातार एसी पंक्तियाँ  आती हैं , जो सर्वहारा वर्ग की पीड़ा को वाणी देती है | शिथिल चरित्र की होने की बावजूद उसके संवादों में उर्जा है | लिलियन के विषय में एसा कहा जाता है कि वह बंधनहीन विचारों कि महिला थी | वे खुद लोगों को अपने आवास पर भोजन के लिए आमंत्रित करती थी | एक सूत्र वाक्य कहता है ___ ' कविता वनिता च सुखदा स्वयंमागता ' अर्थात स्त्री और कविता जब अपने आप आए तभी सुखकर होती है | यह गुण लिलियन में भी कूट - कूट का भरा था |

9 टिप्‍पणियां:

Pradeep ने कहा…

मिनाक्षी जी प्रणाम !
अपने समय की एक सक्षम और मजबूत महिला के बारे में जान के अच्छा लगा....
शुक्रिया ..

प्रेम सरोवर ने कहा…

लिलियन हेलमेन के बारे जानकारी अच्छी लगी।इस सूचनापरक पोस्ट के लिए धन्यवाद। मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है।

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत ही बढ़िया और ज्ञानवर्धक पोस्ट.

सादर

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

लिलियन हेलमेन के बारे जानकारी अच्छी लगी।इस सूचनापरक पोस्ट के लिए धन्यवाद।

Sunil Kumar ने कहा…

स्त्री और कविता जब अपने आप आए तभी सुखकर होती है
सुदर आलेख, सार्थक पोस्ट, बधाई

Dr Varsha Singh ने कहा…

लिलियन हेलमेन के बारे में अच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद।

उम्मतें ने कहा…

गज़ब की पोस्ट ! प्रस्तुति के लिए आपको साधुवाद !

Kunwar Kusumesh ने कहा…

बढ़िया और ज्ञानवर्धक पोस्ट.

Dinesh pareek ने कहा…

बहुत ही सुन्दर लिखा है अपने इस मैं कमी निकलना मेरे बस की बात नहीं है क्यों की मैं तो खुद १ नया ब्लोगर हु
बहुत दिनों से मैं ब्लॉग पे आया हु और फिर इसका मुझे खामियाजा भी भुगतना पड़ा क्यों की जब मैं खुद किसी के ब्लॉग पे नहीं गया तो दुसरे बंधू क्यों आयें गे इस के लिए मैं आप सब भाइयो और बहनों से माफ़ी मागता हु मेरे नहीं आने की भी १ वजह ये रही थी की ३१ मार्च के कुछ काम में में व्यस्त होने की वजह से नहीं आ पाया
पर मैने अपने ब्लॉग पे बहुत सायरी पोस्ट पे पहले ही कर दी थी लेकिन आप भाइयो का सहयोग नहीं मिल पाने की वजह से मैं थोरा दुखी जरुर हुआ हु
धन्यवाद्
दिनेश पारीक
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