सोमवार, 17 जनवरी 2011

वो हूँ मैं



हथेली सामने रखना
के सब आंसू गिरे उसमे
जो ठहर जाये
तो समझ  जाना के 
    " वो हूँ  मैं  "
कभी जो चाँद  को देखो
तो तुम यु मुस्कुरा देना
जो चल जाये हवा ठंडी
तो ऑंखें बंद कर लेना
जो झोंका तेज़ हो सबसे
तो समझ लेना के
      " वो हूँ मैं "
जो ज्यादा " याद " आऊं मैं
तो तुम रो लेना जी भरके
अगर हिचकी कोई आये
तो समझ जाना के
   " वो हूँ मैं "

13 टिप्‍पणियां:

रविंद्र "रवी" ने कहा…

हथेली सामने रखना
के सब आंसू गिरे उसमे
क्या बात काही है आपने.
बहुत बढिया!

अभिषेक मिश्र ने कहा…

वाह ! क्या बात है !!

रश्मि प्रभा... ने कहा…

achha to wo aap hain ! bahut badhiyaa ...
ise dekhiye
http://urvija.parikalpnaa.com/2011/01/blog-post_14.html

Amit K Sagar ने कहा…

सच कहूं तो इस रचना की तारीफ जितनी की जाए मेरे ख़याल से कम है. वाह! बहुत ही संवेदी और मर्म मे डूबी रचना.

-
सागर by AMIT K SAGAR

सदा ने कहा…

हर शब्‍द भावमय करता हुआ ..बेहतरीन शब्‍दों का संगम ..।

Bharat Bhushan ने कहा…

बात कहने का अंदाज़ बहुत अच्छा लगा. अच्छी रचना.

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

मीनाक्षी जी
सादर अभिवादन !


वो मैं हूं !
आंसू, हवा का तेज झौंका, हिचकी अलग अलग रूपों में अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराने के बाद मन के धैर्य के लिए कुछ तो और होना चाहिए था … :)

सुंदर भावपूर्ण रचना के लिए आभार और हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !

शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) ने कहा…

vaah....khoobsurat kavita.....!!!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

जो ज्यादा " याद " आऊं मैं
तो तुम रो लेना जी भरके
अगर हिचकी कोई आये
तो समझ जाना के
" वो हूँ मैं ...

बहुत सम्वेदंशेल रचना ... दिल के जज्बातों को जुबान दे दी ..

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

अगर हिचकी कोई आये
तो समझ जाना के
वो हूँ मैं

हिचकी ओर स्मृतियों का गहरा संबंध है।
कविता बहुत प्रभावी लगी।

POOJA... ने कहा…

sirf ek shabd... ek pyaari si aah ke saath... waah...

Prem Farukhabadi ने कहा…

bahut pyari rachna hai. padhte padhte
dil ko sakoon deti rachna .Badhai!!!

Roshi ने कहा…

bhav pradhan rachna hai