एक नज़र इधर भी
बुधवार, 26 जनवरी 2011
विश्वास
ज़माने से जो डरते हैं वो बेकार होते हैं !
बदल देते हैं जो माहोल वो खुद्दार होते हैं !!
हजारो डूबते हैं नाखुदा के भरोसे पर !
चलाते हैं जो खुद चप्पू वो अक्सर पार होते हैं !!
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