शनिवार, 7 मई 2011

रवीन्द्रनाथ टेगौर

रवीन्द्रनाथ टेगौर  ( 1867 - 1941 ) का जन्म कलकत्ता में एक समृद्ध और सुसंस्कृत परिवार में हुआ था | उनके पिता देवेन्द्रनाथ टेगौर ब्रह्म समाज के बड़े नेताओं में से एक थे | रवीन्द्रनाथ को बचपन से ही धर्म , साहित्य , संगीत और चित्रकारी का वातावरण मिला | 1878 में वे कानून  के अध्ययन के लिए कुछ समय तक इंग्लैण्ड  में रहे , मगर शीघ्र ही भारत  वापस लौट आए और उन्होंने लेखन को ही अपना व्यवसाय बना लिया | वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे और एक साथ कवि , कहानीकार , नाटककार , गीतकार , दार्शनिक  शिक्षक और चित्रकार थे | उन्होंने बंगला में लिखा , लेकिन उनकी कृतियों का भारतीय  और विदेशी भाषाओँ में वृहद् स्तर पर अनुवाद हुआ |
       1901 में उन्होंने बोलपुर में अपने विद्यालय शांति निकेतन की स्थापना की | इस विद्यालय की आशतीत सफलता विश्वभारती की स्थापना का कारण बनी | यह संख्या पश्चिमी  और भारतीय शिक्षा तथा दर्शन को समर्पित थी | 1921 में इसे विश्व विद्यालय की मान्यता मिली | टैगोर स्वतंत्रता संग्राम में शामिल थे | उन्हें महान राष्ट्र प्रेमी कहा गया | टैगोर राष्ट्र की अवधारणा के दुष्परिणामों के प्रति आशंकित भी थे | इसके बारे में उन्होंने व्यापक तौर पर भी लिखा | उन्हें सर्वाधिक ख्याति कविता - संग्रह ' गीतांजलि ' के कारण मिली जिसने पश्चिम को अभिभूत कर दिया था | गीतांजलि  के लिए उन्हें 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया था | 1915 में उन्हें ' सर ' की उपाधि से विभूषित किया गया था | लेकिन 1919 में जलियांवाला नरसंहार के बाद उस उपाधि को उन्होंने लौटा दिया | 
      टैगौर की एक हजार से भी ज्यादा कवितायेँ , कहानियों के आठ संग्रह , लगभग दो दर्जन नाटक और नाटिकाएं आठ उपन्यास और दर्शन , धर्म , शिक्षा तथा समाजिक विषयों पर अनेक पुस्तकें और निबंध प्रकाशित हुए | शब्द और नाटक की दुनियां के आलावा संगीत से भी उन्हें गहरा लगाव था | उन्होंने 2000 से अधिक गीतों की रचना की और उन्हें संगीतबद्ध किया |इनमें से दो भारत और बंगलादेश के राष्ट्र गान बनें | उनकी कुछ प्रमुख रचनाएँ हैं ::: ' सोनातरी ' ( 1894 ) , ' चोखेर बाली ' ( 1903 ) , ' नौका डूबी  ' ( 1905 ) ' गोरा ' (1907 ) और ' घरे - बहिरे ' ( 1916 ) |
काबुलीवाला ____ यह टैगौर की सर्वाधिक चर्चित कहानियों में से एक है | सर्वभोम मानवीय संवेदना को उकेरने वाली यह कहानी आत्मकथात्मक शैली में लिखी गई है | कहानी का केन्द्रीय पात्र काबुली वाला अपनी बेटी की छवि लेखक की पुत्री मिनी में देखता है | वह मिनी पर अपना सारा प्यार उडेलता रहता है , यधपि मिनी की माँ की नज़रों में वह संदिग्ध है | कहानी में बालमन का बड़ा हृदयग्राही और यथार्थ चित्रण हुआ है |
' शाहजहाँ ' _____यह कविता ताजमहल के सर्वाधिक गीतात्मक वर्णन के लिए जानी जाती है , लेकिन यह मात्र गीतात्मक वर्णन ही नहीं है | जहां यह एक और प्रेम और सोंदर्य के उत्सव का सृजन करती है , दूसरी और यह इस बात की गहरी अनुभूति करवाती है की विनाश या उच्छेद के विरुद्ध मनुष्य का संघर्ष चाहे वह स्थापत्य के माध्यम से हो या साहित्य के माध्यम से अन्तत : पराजय की और होता है | अगर कोई वस्तु शेष रह जाती है तो वह है आंतरिक भावनात्मक प्रत्युतर , जो काल और स्थान के परे अनुभूत होता रहता है |

रविवार, 1 मई 2011

दुस्साहसी लेखिका लिलियन हेलमैन

  लिलियन हेलमैन का जन्म 20 जून 1905 को अमेरिका में मध्यवर्गीय यहूदी परिवार में हुआ था | उसके पिता मैक्स मार्क्स अमेरिका गृहयुद्ध के दिनों में जर्मनी छोड़कर अमेरिका आ गये थे | मैक्स की बहनें एक मोटेल चलाती थी | लिलियन का जन्म भी यहीं हुआ |लिलियन अपने अभिभावकों की अकेली संतान थी | लिलियन शुरू से काफी बातूनी थी | उनकी माँ हलांकि एक संभ्रांत परिवार की थी , मगर लिलियन के लिए उनके पिता ही उनके हीरो थे | मोटेल में आकर ठहरने वाले यात्रियों के बारे में मनघडंत किस्सों का ब्यौरा देना लिलियन की आदत बन चुकी थी | हेलमैन के प्रारंभिक जीवन की कहानी विलिम राइट ने लिखी है | 19 वर्ष की आयु में उन्हें पहली नौकरी बोनी एंड लिवराइट नामक न्यूयार्क के प्रसिद्ध प्रकाशन संस्थान में मिली | लिलियन का कहना है कि विलियम फाकनर कि प्रतिभा को सबसे पहले उन्होंने ही पहचाना और इस तरह फाकनर के प्रसिद्ध व्यंग उपन्यास ' मस्किटोज़ ' का प्रकाशन संभव हुआ | इसी दौर में वह गर्भवती हुई और गर्भपात के बाद उन्होंने नाट्य अभिनेता आर्थर कोबर से विवाह कर प्रकाशन संस्थान से त्यागपत्र दे दिया | अब वो घर बैठकर समीक्षाएं लिखने लगी | इसी अवधि में उन्हें ' लाइफ ' पत्रिका के संपादक डेविड कोड से प्रेम हो गया | इसके बाद वे अपने पति कोबर के साथ 1939 में पेरिस और वान कि यात्रा करने निकली | यात्रा से लौटकर लिलियन ने हालीवुड कि फिल्मों के लिए पटकथा लिखने का सिलसिला शुरू किया | मेट्रो गोल्डविन मेयर नामक हालीवुड के चित्रपट संस्थान ने उन्हें 50 डालर साप्ताहिक पगार देना मंजूर किया | यहाँ उन्होंने कैमरे  के पीछे काम करने वालों के  दल के साथ हड़तालें भी करवाई | यहीं उनकी मुलाकात रहस्य कथा लेखक डेशियल हैमेट से हुई | हैमेट भयंकर शराबी था | उसकी लिखी रहस्य कथाओं से उसे अकूत धन प्राप्त हो चूका था | परिणामतः वह काफी प्रमादी हो चूका था | उसकी प्रसिद्ध  कृति ' द टिन मैन ' का प्रकाशन 1934 में हुआ | हेलमैन ने हैमेट कि कहानी बड़े रोचक ढंग से लिखी है | लिलियन ने स्वीकार है कि उसके सम्बन्ध हैमेट से भी थे इसे भी एक विचित्र संयोग ही माना जाना चाहिए कि लिलियन से मिलने के बाद हैमेट का लेखन लगभग बंद हो गया और लिलियन कि लोकप्रियता बढने लगी | ऐसा लगने लगा कि जैसे  हैमेट कि प्रतिभा ने परकाया परवेश कर लिलियन को सफलता के उच्च शिखर पर पहुचाने कि ठान ली हो | उसकी कृति ' द चिल्ड्रेन्स आवर' कि सफलता से झल्लाकर एक समीक्षक ने तो यहाँ तक कह दिया कि उसकी पटकथा कहीं और से ली गई है | ' द चिल्ड्रन आवर ' के आसपास उठ खड़े हुए विवाद का परिणाम यह हुआ कि लार्ड चेंबरलेन ने लन्दन में इसके प्रदर्शन पर रोक लगा दी | यही नहीं स्वयं  अमेरिका के शिकागो और बोस्टन आदि शहरों में भी इसका प्रदर्शन नहीं हो सका | न्यूयार्क  में अवश्य इसने बॉक्स आफिस कि ऊँचाइयों को छुआ | सभी प्रगतिशील बौद्धिकों ने इसकी सराहना की | हलांकि 1934 - 1935 का पुलित्ज़र परुस्कार इसे तभी भी नहीं मिला | लिलियन की अगली नाटय कृति  ' डेज़ टू कम ' जिसकी थीम हड़तालों पर आधारित थी , उतनी सफल नहीं हुई | लिलियन की अपनी कृति ' द लिटिल फोक्सेज़ ' ( 1939 ) का घटनाचक्र धन , मुनाफाखोरी और लोभ की कहानी कहता है | इस कृति को लिखने की प्रेरणा लिलियन को उन पात्रों से मिली जो बचपन में उसके मोटेल अथवा बोर्डिंग हॉउस में आकर ठहरते थे , जिसे उसके पिता की बहनें चलाया करती थी | ये सभी पात्र न्यूयार्क आते ही इसलिए थे की किस तरह अधिक से अधिक धन कमाया जाए | ' द लिटिल फोक्सेज ' की लगभग सभी समीक्षकों ने सराहना की है | इसकी सफलता का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है की इसका मंचन लगातार 410 दिन  तक होता रहा और उसे लिलियन की सर्वाधिक सफल कृति माना गया | दो वर्ष बाद लिलियन हेलमैन  की अगली नाट्यकृति ' वाच ऑन द राइन ' आई | इसका नायक एक वामपंथी युवा है , जो नात्सियों से संघर्ष करता है और अंत में खलनायक को मार डालने में सफल होता है | एक वर्ष बाद सैम गोडविन जिसके कहने पर लिलियन ने ' द चिल्ड्रेन्स  आवर ' , ' डेज तो कम ' और ' वाच ऑन द राइन ' लिखे थे | लिलियन के पास ये प्रस्ताव लेकर आया कि लिलियन इन तीनों नाट्यकृतियों में से समलैंगिकता वाला अंश घटाकर इन्हें फिर लिखा जाए , जबकि ये तीनों कृतियाँ अब तक क्लासिक कि श्रेणियों में रखी जाने लगी थी | लिलियन शायद इसके लिए राज़ी नहीं हुई | लिलियन कि विचारधारा वामपंथी थी | उसकी कृतियों और पटकथाओं में लगातार एसी पंक्तियाँ  आती हैं , जो सर्वहारा वर्ग की पीड़ा को वाणी देती है | शिथिल चरित्र की होने की बावजूद उसके संवादों में उर्जा है | लिलियन के विषय में एसा कहा जाता है कि वह बंधनहीन विचारों कि महिला थी | वे खुद लोगों को अपने आवास पर भोजन के लिए आमंत्रित करती थी | एक सूत्र वाक्य कहता है ___ ' कविता वनिता च सुखदा स्वयंमागता ' अर्थात स्त्री और कविता जब अपने आप आए तभी सुखकर होती है | यह गुण लिलियन में भी कूट - कूट का भरा था |